


मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि स्टार्ट-अप्स केवल राज्य के आर्थिक विकास में योगदान नहीं देंगे, बल्कि युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी सृजित करेंगे। प्रदेश में स्टार्ट-अप्स के विकास के लिए वित्तीय सहायता, सशक्त नीतिगत ढांचा और आधुनिक बुनियादी ढांचे की सुविधा प्रदान की जा रही है। स्टार्ट-अप्स को वित्तीय सहायता के रूप में राज्य सरकार कुल निवेश का 18 प्रतिशत तक प्रदान कर रही है। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में 'एमपी स्टार्ट-अप पॉलिसी एंड इंप्लीमेंटेशन स्कीम' के तहत स्टार्ट-अप्स को कई लाभ दिए जा रहे हैं। इनमें सरकार द्वारा दी जा रही वित्तीय सहायता, बुनियादी ढांचा सहयोग और क्षमता निर्माण जैसी सुविधाएं शामिल हैं। स्टार्ट-अप्स को सरकारी निविदाओं में अनुभव और टर्न ओवर की शर्तों में छूट और अर्नेस्ट मनी डिपॉजिट से भी मुक्त किया गया है।
राज्य सरकार ने स्टार्ट-अप्स को लाइसेंस और परमिट शुल्क से भी छूट दी है और दो वर्षों तक सरकारी खरीद में प्राथमिकता दी है। प्रदेश के पास भरपूर बिजली, पानी, और प्राकृतिक संसाधन हैं, जो इसे निवेशकों के लिए एक आदर्श स्थल बनाते हैं। डॉ. यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश में 4,900 से अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप्स कार्यरत हैं और राज्य सरकार का लक्ष्य 'स्टार्ट-अप इंडिया' के तहत स्टार्ट-अप्स की संख्या को 100 प्रतिशत तक बढ़ाना है।